चलाते हैं टचस्क्रीन फोन तो बहुत बड़े खतरे में हैं आप - सौरभ कुमार श्रीवास्तव - Expert Hindi News

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Monday, October 2, 2017

चलाते हैं टचस्क्रीन फोन तो बहुत बड़े खतरे में हैं आप - सौरभ कुमार श्रीवास्तव

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टचस्क्रीन फोन के बगैर आज जिंदगी की कल्पना नहीं की जा सकती। सभी को पता है कि शारीरिक और मानसिकतौर पर इसके कितने खतरे हैं, फिर भी मोबाइल हाथ से छूटता ही नहीं है।
इजराइल के रामबाम मेडिकल सेंटर में विशेषज्ञों द्वारा किए गए अध्ययन में टचस्क्रीन स्मार्टफोन के नए खतरे सामने आए हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक, युवाओं पर ज्यादा असर पड़ रहा है, क्योंकि वे इस तकनीक का ज्यादा उपयोग करते हैं।
सेंटर के प्रो. निआम शेहदेह कहते हैं, 'इन फोन के कारण लोगों का शारीरिक श्रम बहुत कम हो गया है। दिनभर केवल हाथ और अंगुलियां सबसे ज्यादा चलते हैं, बाकी शरीर स्थिर रहता है।'
एक नजर रिपोर्ट से जुड़ी अहम बातों पर -
-इन फोन के कारण युवाओं में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है और उन्हें अहसास तक नहीं है। यही हाल बच्चों का है। ऐसे फोन से निकला इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन बच्चों के संवेदनशील दिमाग को भारी नुकसान पहुंचा रहा है।
-बच्चों की मानसिक और शारीरिक ग्रोथ बाधित हो रही है। ये बच्चे और अन्य आयुवर्ग के यूजर भी कम सामाजिक होते जा रहे हैं।
-असल जिंदगी में दोस्त बनाने के बजाए ये वर्चुअल वर्ल्ड में दोस्त खोजते हैं। इन्हीं सब आदतों को कारण टचस्क्रीन यूज करने वाला हर शख्स खुद से असंतुष्ट नजर आता है।
-टचस्क्रीन फोन का सबसे नकारात्मक असर यह है कि यूजर चाहे तो भी इसकी आदत से पीछा नहीं छुड़ा सकता है।
बच्चों की आंखें हो रही खराब
टच स्क्रीन स्मार्टफोन के बच्चों की आंखों पर पड़ने वाले असर को लेकर पहले भी काफी कुछ लिखा-कहा जा चुका है। आई स्पेशलिस्ट डॉ. महेश अग्रवाल का कहना है कि पिछले कुछ समय से तीन से पांच साल के उम्र के बच्चों में चश्में के नंबर तेजी से बढ़ने लगे हैं। बच्चों में आंखों का मिचमिचाना, भारीपन, थकावट, सिर में दर्द जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं। ऐसे में पैरेंट्स को साल में एक बार रेगुलर चेकअप कराना जरूरी है।
साइक्रियाटिस्ट डॉ.उज्जवल सरदेसाई ने बताया कि 8 से 10 साल तक के बच्चे स्मार्टफोन की लत का ज्यादा शिकार हो रहे हैं। बच्चे का चिड़चिड़ाना, बच्चे का गुस्सैल होना थोड़ा खतरे के संकेत हैंं। बच्चों को कलरफुल चीजें पसंद है, लिहाजा वे स्मार्टफोन के प्रति जल्दी आकर्षित होते हैं। ऐसे में पैरेंट्स पुराने फिजीकली गेम्स की तरफ लौट सकते हैं।